ऐतिहासिक तीर्थक्षेत्र नेवासा

प्रस्तुत शहर महारष्ट्र के अहमदनगर जनपद का वह तहसील है; जो प्रवर नदी के तत्पर अनादी काल से बसा हुआ विपुल ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैशिक धरोहर की पवित्र भूमि है | यह विश्ववंदनिय मराठी संत ज्ञानेश्वर के पदस्पर्श से पुनीत एक उत्तम तीर्थक्षेत्र है | इसी पावन भूमि पर मराठी भाषियों के लिए ज्ञान का सागर खुला करनेवाले ‘ ज्ञानेश्वरी ‘ ग्रंथ का निर्माण हुआ | प्रस्तुत ग्रंथ इसी भूमि पर बारहवी शताब्दी में पूरी दुनियाँ को ललामभुत आदर्श दीपस्तंभ समान है | इसी पवित्र जमीनपर पहले ‘करवीरेश्वर’ का मंदिर था | प्रस्तुत मंदिर का ही पवित्र ‘खंब’ (पैस) को पीठ लगाकर, श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज ने ‘ज्ञानेश्वरी’, ‘अमृतानुभव’, ‘हरिपाठ’ जैसे ग्रंथो की निर्मिति की | काल के साथ मंदिर का विनाश हुआ; लेकिन समस्त दुनिया को दिव्य सन्देश प्रदात्त करनेवाला ‘खम्बा’ आज भी वहाँ ज्यों की त्यों है |

‘खंबा’ के आसपास मंदिर यह दुनिया का अदभूत, अचरज यहाँ विद्यमान है | अर्थात इसके लिए भी लगभग ६५० वर्षों का इंतजार करना पद, तब कहीं ह.भ.प. बन्सी महाराज तांबे बाबा की प्रेरणा, तथा अथक प्रयास से मंदिर का जिर्नोधार हुआ | अब यहाँ कई लाख भक्तगण दर्शन के लिए आते है | आज जो ज्ञानेश्वर मंदिर दिखाई दे रहा है, उस करविश्वेश्वर मंदिर के ‘खंबा’ पर चाँद सूरज की मूर्ति के साथ शिलालेख इस प्रकार है:-
‘ओन्न्म : (कर) वीरेश्वर पिता महेन यत् पूर्व (दत्त)
अखंडवर्ती तैलार्य प्रतिमास सदा ही तत् (रूपका)
षटक संख्या देय अचंद्र सू
येकं (यस्वी) करोती दृष्ट” तस्य (स:)
पूर्व व्रज्यंत्य्था मंगलम महाश्री !”

तीर्थक्षेत्र नेवासा महारष्ट्र के वारकरी संप्रदाय का अदिपिठ है |मंदिर से सत्कार प्रसादालय (पाकशाला) है, जहाँ एक साथ ८०० लोग बैठ सकते है | यहाँ भी श्री दत्त मूर्ति की स्थापना है, तथा साथ में श्री राम, लक्ष्मण, सीतादेवी तथा हनुमान की मूर्तियाँ है | प्रस्तुत मंदिर में सन १९५७ से सामूहिक, समग्र ज्ञानेश्वरी का परायण कार्यरत है | यहाँ श्री कृष्ण जयंती, गोकुलाष्टमी भी हर्ष और उल्लास से मनाई जाती है |

जगह

श्री शनैश्वर देवस्थान, शनी शिंगणापूर,
पोस्ट : सोनई, तालुका : नेवासा, जिल्हा : अहमदनगर
पिनकोड : ४१४ १०५. महाराष्ट्र , भारत.

गुगल मानचित्र